शुक्रवार, 4 अगस्त 2017

मेहनत का दर्द


*मेहनत से उठा हूँ, मेहनत का दर्द जानता हूँ,_*
*आसमाँ से ज्यादा ज़मीं की कद्र जानता हूँ।*

*लचीला पेड़ था जो झेल गया आँधियाँ,*
_*मैं मग़रूर दरख़्तों का हश्र जानता हूँ।*

_*छोटे से बड़ा बनना आसाँ नहीं होता,*
   *जिन्दगी में कितना ज़रुरी है सब्र जानता हूँ।*

*मेहनत बढ़ी तो किस्मत भी बढ़ चली,*
*छालों में छुपी लकीरों का असर जानता हूँ।*

*कुछ पाया पर अपना कुछ नहीं माना,*
_*क्योंकि आख़िरी ठिकाना मेरा मिट्टी का घर जानता हूँ।*
        

रविवार, 30 जुलाई 2017

सज्जनता


       सज्जनता जीवन को शीतलता प्रदान करने वाली समीर है। सज्जनता के अभाव में जीवन उस जलते अंगारे के सामान है जो स्वयं तो जलता ही है मगर अपने संपर्क में आने वाले को भी जलाता है।
       सज्जनता ही जीवन का आभूषण और श्रृंगार है। सोने की लंका में रहने वाला रत्न जडित सिंहासन पर आरुढ़, नानालंकारों को धारण करने वाले रावण का जीवन भी शोभाहीन है। और पर्वत पर पत्थर के ऊपर व पेड़ की डालों पर बैठे सुग्रीव, हनुमान जी सहित आदि वानरों व अँधेरी गुफा में वास करने वाले जामवंत का जीवन शोभायुक्त है।
      जीवन की शोभा अलंकारों में नहीं अपितु आपके उच्च विचारों से है। सज्जनता रुपी आभूषण को धारण करो ताकि स्वर्ण आभूषणों के अभाव में भी आपका सौन्दर्य बना रहे।

जय श्री कृष्णा

शनिवार, 7 जनवरी 2017

मुश्किल

जितना वक़्त हम मुश्किलों के आने पर फ़िक्र में गँवा देते है
उतना अगर उसको हल करने में लगा दे तो मुश्किल रहेगी ही नहीं l...