शनिवार, 5 नवंबर 2016

अच्छे व्यवहार


❝अच्छे व्यवहार का कोई आर्थिक
                मूल्य भले ही न हो
                      लेकिन
       अच्छा व्यवहार करोड़ों दिलों को
          खरीदने की शक्ति रखता है❞

❝जिंदगी की परीक्षा में
कोई नम्बर नहीं मिलते

लोग  आपको दिल में
जगह दे दे तो समझ
लेना आप पास हो गये❞
          
*मँज़िले बड़ी ज़िद्दी होती हैँ , हासिल कहाँ नसीब से होती हैं !*

*मगर वहाँ तूफान भी हार जाते हैं , जहाँ कश्तियाँ ज़िद पर होती हैँ !*

*भरोसा ” ईश्वर ” पर है, तो जो लिखा है तकदीर में, वो ही पाओगे !*

*मगर , भरोसा अगर ” खुद ” पर है ,तो ईश्वर वही लिखेगा , जो आप चाहोगे !!!*

  

रेस्टोरेंट

          "कर्म" एक ऐसा रेस्टोरेंट है ,
               जहाँ ऑर्डर देने की
                  जरुरत नहीं है
             हमें वही मिलता है जो
                 हमने पकाया है।
         
            जिंदगी की बैंक में जब
             " प्यार " का " बैलेंस "
                 कम हो जाता है
             तब " हंसी-खुशी " के
           चेक बाउंस होने लगते हैं।

                 इसलिए हमेशा
                 अपनों के साथ
           नज़दीकियां बनाए रखिए ।

शुक्रवार, 4 नवंबर 2016

विजेता

*सिर्फ दुनिया के सामने "जीतने" वाला ही "विजेता" नहीं होता....*

    *किन "रिश्तों" के सामने कब और कहाँ पर "हारना" है, यह जानने वाला भी विजेता होता है...*

कठिन प्रश्न


कर्म करो तो फल मिलता है,
       आज नहीं तो कल मिलता है।
जितना गहरा अधिक हो कुँआ,
        उतना मीठा जल मिलता है ।
जीवन के हर कठिन प्रश्न का,
        जीवन से ही हल मिलता है।
               
           

      ""सदा मुस्कुराते रहिये""

                  

बुरे कर्मो से बचना

जैसे हजारो गायों में भी बछड़ा अपनी माता को पहचानकर उसी के पास जाता है, उसी प्रकार व्यक्ति जो भी कर्म करता है, वह कर्म भी उसके पीछे-पीछे चलता है अर्थात् व्यक्ति को अपने कर्मो का फल अवश्य ही भोगना पड़ता   हैं। कहा भी गया है- कर्मो की गति न्यारी ।

अत: मनुष्य को हमेंशा बुरे कर्मो से बचना चाहिए, क्योंकि बुरे कर्मो का फल बुरा ही होता है, चाहे वह फल मनुष्य को बीमारी के रूप में मिले, चाहे वह फल मनुष्य को दुर्धटना के रूप में मिले, चाहे वह फल मनुष्य को हानि तथा असफलता के रूप में मिले या चाहे वह फल मनुष्य को अन्य किसी पीड़ा के रूप में मिले, लेकिन बुरे कर्मो का फल मनुष्य को भुगतना ही पड़ता है।

मनुष्य धन-दौलत के लोभ-लालच में बुरे कर्म करते समय अन्तिम एवं परम सत्य को भूल जाता है कि जिस धन-दौलत के लिए वह बुरे कर्म कर रहा है उस धन-दौलत में से एक रूपया भी, अन्त समय में उसके साथ जाने वाला नहीं है। उसके साथ केवल उसके बुरे कर्म हीं जायेंगे ओर धन-दौलत यहीं पड़ीे रह जायेंगी।यहां तक कि उसके बन्धु बान्धव पहने आभुषणों के साथ उसके पहने कपड़े तक भी उतार देंगे कुछ भी साथ नहीं जाने देंगे। इस अन्तिम एवं परम सत्य को जानकर मनुष्य को, अपनी आत्मा के कल्याण के लिए एवं मनुष्य जन्म को सार्थक बनाने के लिए, अधिक से अधिक शुभ एवं अच्छे कर्म करने चाहिए।

शनिवार, 29 अक्टूबर 2016

सुकून

सुकून उतना ही देना,
  प्रभु जितने से जिंदगी चल जाए,
     औकात बस इतनी देना, कि,
        औरों  का भला हो जाए,
    रिश्तो में गहराई इतनी हो, कि,
          प्यार से निभ जाए,
    आँखों में शर्म इतनी देना, कि,
       बुजुर्गों का मान रख पायें,
     साँसे पिंजर में इतनी हों, कि,
        बस नेक काम कर जाएँ,
          बाकी उम्र ले लेना, कि,
      औरों पर बोझ न बन जाये ...............!!!

शुक्रवार, 28 अक्टूबर 2016

चालाक लोग

आवश्यकता से अधिक चालाक लोग केवल दूसरों को आवश्यकता से अधिक मूर्ख समझते है बल्कि दूसरों को मूर्ख बनाने के प्रयास में अंततः स्वयं मूर्ख बनते है।