मंगलवार, 13 दिसंबर 2016

पक्के हुए फल

 

        ” पक्के हुए फल की तीन पहचान होती है… एक तो वह नर्म हो जाता है दूसरे वह  मीठा हो जाता है तीसरे उसका रंग बदल जाता है… ”
     ” इसी तरह से परिपक्व व्यक्ति की भी तीन पहचान होती है… पहली उसमें नम्रता होती है… दूसरे उसकी वाणी मे मिठास होता है और तीसरे उसके चेहरे पर आत्मविश्वास का रंग होता है….. ”

 

अपना क्या है

*मनुष्य का अपना क्या है ?*
*जन्म :-*     दुसरो ने दिया
*नाम  :-*     दुसरो ने रखा
*शिक्षा :-*    दुसरो ने दी
*रोजगार :-* दुसरो ने दिया और
*शमशान :-* दुसरे ले जाएंगे
तो व्यर्थ में घमंड किस बात पर करते है लोग

विचार

_*कोयल* अपनी भाषा बोलती है,_
        _इसलिये  *आज़ाद* रहती हैं._
  _किंतु  *तोता* दूसरे कि भाषा बोलता है,_
      _इसलिए पिंजरे में जीवन भर_
                 _*गुलाम* रहता है._
_अपनी *भाषा,*_
        _अपने *विचार* और_
               _*"अपने आप"* पर विश्वास करें..!
 

ताकत

   *हर किसी के अन्दर अपनी* 
      *"ताकत"और अपनी"कमज़ोरी"*
*होती है...*
        *"मछली"जंगल मे नही दौड*़
      *सकती और"शेर"पानी मे राजा*
*नही बन सकता.....!!*

                  *इसलिए* 
                *"अहमियत"*
            *सभी को देनी चाहिये.
.

सपनो को सच बनान

मेहनत लगती है
          सपनो को सच बनाने मे
हौसला लगता है
          बुलन्दियों को पाने मे
बरसो लगते है जिन्दगी बनाने मे
      ओर जिन्दगी फिर भी कम पडती है     
रिश्ते निभाने मे.
                       

सोमवार, 12 दिसंबर 2016

जीभ

..
सब जानते हैं जीभ में एक भी हड्डी नहीं होती।

फिर भी कमाल की बात ये है
की

ये आपकी सारी हड्डियां तुड़वाने की ताकत रखती है।

सकारात्मक विचार

दूध को दुखी करो तो दही बनता है|

दही को सताने से मक्खन बनता है|

मक्खन को सताने से घी बनता है|

दूध से महंगा दही है,दही से महंगा मक्खन है,और मक्खन से महंगा घी है|

किन्तु इन चारों का रंग एक ही है सफेद|

इसका अर्थ है बाऱ- बार दुख और संकट आने पर भी जो इंसान अपना रंग नहीं बदलता,समाज में उसका ही मूल्य बढ़ता है|

*दूध* उपयोगी है किंतु एक ही दिन के लिए, फिर वो *खराब* हो जाता है....!!

*दूध* में एक बूंद *छाछ* डालने से वह

*दही* बन जाता है जो केवल दो और दिन *टिकता* है....!!

*दही* का मंथन करने पर *मक्खन* बन जाती है, यह और तीन दिन टिकता है....!!

*मक्खन* को उबालकर *घी* बनता है, *घी* कभी खराब नहीं होता....!!

एक ही दिन में बिगड़ने वाले *दूध* में कभी नहीं बिगड़ने वाला *घी* छिपा है....!!

इसी तरह आपका *मन* भी अथाह *शक्तियों* से भरा है, उसमें कुछ *सकारात्मक विचार* डालो अपने आपको *मथो* अर्थात *चिंतन* करो....अपने *जीवन* को और *तपाओ* और तब देखना
*आप कभी हार नहीं मानने वाले सदाबहार व्यक्ति बन जाओगे....!!*

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