*इंसान" की पहचान "अदब"* *से होती है "इल्म" से नहीं.-*
*क्योंकि*
*"इल्म" तो शैतान के पास भी था, पर वह अदब से महरूम था।*
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शनिवार, 17 दिसंबर 2016
इल्म
वाह
*दुनिया का सबसे खूबसूरत शब्द है,*
*" वाह.." *
*जब आप किसी के लिए ऐसा बोलते हैं,*
*तब ना सिर्फ आप अपने अहंकार को तोड़ते है,*
*बल्कि एक दिल भी जीत लेते है..!*
संगत
*नेक लोगों की संगत से*
*हमेशा भलाई ही मिलती हे,*
*क्यों कि*.....
*हवा जब फूलो से गुज़रती हे तो वो भी खुश्बुदार हो जाती हे*…!
नफरतों में क्या रखा ह
*" नफरतों में क्या रखा हैं ..,*
*मोहब्बत से जीना सीखो..,*
*क्योकि*
*ये दुनियाँ न तो हमारा घर हैं ...*
*और ...*
*न ही आप का ठिकाना ..,*
*याद रहे ! दूसरा मौका सिर्फ कहानियाँ देती हैं , जिन्दगी नहीं ... "*
*दीपक बोलता नहीं उसका*
*प्रकाश परिचय देता है ।*
*ठीक उसी प्रकार...*
*आप अपने बारे में कुछ न बोलें,*
*अच्छे कर्म करते रहे*
*वही आपका परिचय देगे...!!!*
अदब
*इंसान" की पहचान "अदब"* *से होती है "इल्म" से नहीं.-*
*क्योंकि*
*"इल्म" तो शैतान के पास भी था, पर वह अदब से महरूम था।*
सत्कर्म ही जीवन है।
नदी का पानी मीठा होता है क्योंकि
वो पानी देती रहती है।
सागर का पानी खारा होता है क्योंकि
वो हमेशा लेता रहता है।
नाले का पानी हमेशा दुर्गंध देता है क्योंकि
वो रूका हुआ होता है।
यही जिंदगी है
देते रहोगे तो सबको मीठे लगोगे।
लेते रहोगे तो खारे लगोगे।और
अगर रुक गये तो सबको बेकार लगोगे।
निष्कर्ष : सत्कर्म ही जीवन है।
बंधन
"बंधन" हमेशा "दुख" देता हैं
और
"संबंध" हमेशा "सुख" देता हैं
हमारा आप से और आपका हम से
"संबंध" हैं, कोई "बंधन" नही हैं.
सुन्दर सुबह का मीठा मीठा नमस्कार..
ना कोई राह़ आसान चाहिए,,,
ना ही हमें कोई पहचान चाहिए,,,
एक चीज माँगते रोज भगवान से,, सब लोगों के चेहरे पे हर पल,,,
प्यारी सी मुस्कान चाहिये !!!