बुधवार, 16 नवंबर 2016

नीली चादर

*क़ुदरत की नीली चादर से...
छन कर आया राग सुनहरा...
नई ज़िन्दगी के अंकुर ले...
खुशियाँ लाया नया सवेरा...
मुंदी पलकें खोलकर,
खुलकर लो अंगड़ाई...
ढेरों खुशियाँ दहलीज पर,
देखो सुबह लाई...
खुशियों को दिल में संजोकर...
रख लेना संभाल के,
जग में खुशियाँ...
खूब बाँटना,
करना यही कमाई.....

सु प्रभात

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