मंगलवार, 27 दिसंबर 2016

निभाना

*सम्बन्ध को जोड़ना*
      *एक कला है,*
          *लेकिन*
*"सम्बन्ध को निभाना"*
     *एक साधना है*

*जिंदगी मे हम कितने सही और कितने गलत है, ये सिर्फ दो ही शक्स जानते है..*

*"ईश्वर "और अपनी "अंतरआत्मा"*

*और हैरानी की बात है कि दोनों नजर नहीं आते...!*

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