'एक बुज़ुर्ग से किसी ने कहा तुम्हें *ईश्वर पर बहुत यक़ीन है,*
तो ऊँचे पहाड़ पर चढ़ कर *छलांग* लगा दो
देखते हैं कि तुम्हारा ईश्वर तुम्हें *बचाता है कि नहीं ?*
बुज़ुर्ग ने बहुत सुंदर जवाब दिया....
ये ईश्वर का काम है
कि *मुझे आज़माये,*
यह मेरा काम नही
कि मैं अपने *ईश्वर को आज़माऊ*".
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