शुक्रवार, 21 अक्टूबर 2016

आंसू

*दुःख में स्वयं की एक अंगुली*
      *आंसू पोंछती है ;*
*और सुख में दसो अंगुलियाँ*
          *ताली बजाती है ;*
*जब स्वयं का शरीर ही ऐसा*
           *करता है तो*
*दुनिया से गिला-शिकवा*
           *क्या करना...!!*
   

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