प्रशंसा से पिंघलना मत
आलोचना से उबलना मत
निस्वार्थ भाव से कर्म कर क्योंकि
इस धरा का
इस धरा पर
सब धरा रह जाऐगा
श्री कृष्णा ने बहुत बड़ी बात कही है,
ना जीत चाहिए,
ना हार चाहिए,
जीवन की सफलता के लिए केवल
*मित्र और परिवार*
चाहिए.
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